Monday, 5 March 2012

rojgar aur bhaksha

आज हमारे देश में बेरोजगारी की  समस्या दिन  प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.जिसके लिए बहुत हद तक हमारा विभिन्न भाखो   का ज्ञान न होना भी जिम्मेदार है,

3 comments:

  1. बिलकुल ठीक कहे हो भाई !
    बिन भाषा उन्नति नहीं भाई ,
    हिंदी की कर दो कुडमाई(सगाई ),
    दक्षिण उत्तर ,उत्तर दक्षिण ,
    सीख लो ओ !मेरे भाई !
    अस्पताल में नर्सिंग करने बाद भी केरल की नर्स को अगर हिंदी नहीं आती तो कैसे संवाद करे ,मरीजों से भाई !
    नोर्थ ईस्ट का वेटर कन्नड़ न सीखे तो क्या करे बेंगलुरु में भाई ?
    भाषा जितनी सब भलीं ,भेद भाव को भूल ,
    रोटी रोज़ी ढूंढ .
    जहां कलह तँह सुख नहीं .कलह सुखन को सूल ,
    सबै कलह इक राज में ,राज कलह को भूल ,
    निज भाषा उन्नति आहै ,सब उन्नति को मूल ,
    बिन निज भाषा ज्ञान के ,मिटे न हिय को शूल .
    शुक्रिया भाई !स्नेह बनाए रहिये .हर पोस्ट उपयोगी है आपकी .

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  2. सत्य वचन
    मेरे पास अन्य राज्यों से मरीजों के फोन आते हैं तो मुझे बड़ी शिद्दत से एहसास होता है की कोई मुझे बंगाली,कन्नड़,गुजराती ,मराठी सिखा देता

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  3. मेरा आपसे अनुरोध है की आप यदि आप अन्य भाषाओ में रूचि रखती है तो उन्हे स्वाध्याय के माध्यम से सीख सकती है, जिसमे इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी के भाषा विभाग के पाठ्यक्रम सहायक सिद्ध हो सकते है चिट्ठे पे पधारने के लिए साधुवाद

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